कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरे भारत में समान है। इसे संभव बनाकर विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत शासित किया गया है। इस अधिनियम द्वारा विभिन्न धर्म के स्त्री पुरुष नागरिक समारोह में विवाह सम्पन्न कर सकते है। एक ही धर्म के स्त्री पुरुष भी, रस्मों रिवाजों के बदले कोर्ट मैरिज का चुनाव कर सकते है।
विवरण से पहले, आम तौर पर पूछे गए सवालों पर गौर करते है
- क्या विवाह पंजीकरण ऑनलाइन किया जा सकता है?
नहीं। विवाह पंजीकरण ऑनलाइन नहीं किया जा सकता। इसके लिए मैरिज अधिकारी के सामने आपको स्वयं उपस्थित होना जरूरी है। तभी विवाह पंजीकरण हो पायेगा।
2. कोर्ट मैरिज के लिए क्या माता पिता की मंजूरी अनिवार्य है?
नहीं। कोर्ट मैरिज के लिए माता पिता की मंजूरी जरूरी नहीं है। बशर्ते इन नियमों का पालन किया गया हो।
कोर्ट मैरिज: शर्तें
अध्याय २, धारा ४, के अनुसार इस विवाह में शामिल होने ले लिए कुछ शर्तों का पालन करना ज़रूरी है।
- कोई पूर्व विवाह न हो: विवाह में शामिल होने वाले दोनों पक्षों की पहली शादी से जुड़े पति या पत्नी जीवित न हो। साथ ही कोई पूर्व विवाह वैध न हो।
2. वैध सहमति: दोनों पक्ष वैध सहमति देने के लिए सक्षम होने चाहिए। अपने मन की बात कहकर दोनों पक्षों को स्वेच्छा से इस विवाह में शामिल होना चाहिए।
3. उम्र: पुरुष की आयु 21 वर्ष से ज्यादा तथा महिला की 18 वर्ष से ज्यादा होना ज़रूरी है।
4. प्रसव के लिए योग्य: दोनों पक्षों का संतान की उत्पत्ति के लिए शारीरिक रूप से योग्य होना जरूरी है।
5. निषिद्ध संबंध: अनुसूची १ के अनुसार, दोनों पक्षों का निषिद्ध संबंधो की सीमा से बाहर होना जरूरी है। हालांकि; किसी एक के धर्म की परंपराओं में इसकी अनुमति हो, तो यह विवाह मान्य होगा।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया – स्टेप 1
प्रयोजित विवाह की सूचना/आवेदन
कोर्ट में विवाह करने के लिए सर्वप्रथम जिले के विवाह अधिकारी को सूचित किया जाना चाहिए।
सूचना किसके द्वारा दी जानी चाहिए?
विवाह में शामिल होने वाले पक्षों द्वारा लिखित सूचना दी जानी चाहिए।
सूचना किसे दी जानी चाहिए?
सूचना उस जिले के विवाह अधिकारी को दी जाएगी जिसमें कम से काम एक पक्ष ने सूचना की तारीख से एक महीने पहले तक शहर में निवास किया हो। उदाहरण के तौर पर, यदि पुरुष और महिला दिल्ली में हैं, और लखनऊ में विवाह करना चाहते हैं तो उनमें से किसी एक को सूचना की तारीख से 30 दिन पहले लखनऊ में निवास करना अनिवार्य है।
सूचना का स्वरूप क्या है?
सूचना का स्वरूप अनुसूची २ के अधिनियम के अनुसार होना चाहिए जिसके साथ आयु और निवास के प्रमाण दस्तावेज भी संलग्न होने चाहिए।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: स्टेप 2
सूचना का प्रकाशन सूचना कौन प्रकाशित करता है?
जिले के विवाह अधिकारी जिसके सामने सूचना जारी की गयी थी, वो ही सूचना प्रकाशित करता है।
सूचना कहाँ प्रकाशित की जाती है?
सूचना की एक प्रति कार्यालय में एक विशिष्ट स्थान पर तथा एक प्रति उस जिला कार्यालय में जहाँ विवाह पक्ष स्थायी रूप से निवासित है (अगर कोई है), प्रकाशित की जाती है।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: स्टेप 3
विवाह में आपत्तियाँ
आपत्ति कौन प्रस्तुत कर सकते हैं?
कोई भी, अर्थात अध्याय 2, अधिनियम के अनुभाग 4 (ऊपर देखें) में सूचीबद्ध आधारों पर कोई भी व्यक्ति विवाह में आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। यदि प्रस्तुत की गयी आपत्तियों का ऊपर दिए गए तत्वों से मेल जोल कम हो तो उसका परिणाम नहीं होगा। हालांकि, ज्यादातर मामलों में, विवाह अधिकारी को आपत्ति की जांच करना जरूरी है।
आपत्ति कहाँ प्रस्तुत की जाती है?
संबंधित जिले के विवाह अधिकारी के सामने आपत्ति प्रस्तुत की जाती है।
आपत्ति के आधार क्या है?
ऊपर दी गयी शर्तें तथा अधिनियम के अध्याय २, अनुभाग ४ में दी गयी सूची आपत्ति के आधार है।
यदि आपत्ति (याँ) स्वीकार हो तो उसके परिणाम क्या है?
आपत्ति प्रस्तुति के 30 दिनों के भीतर विवाह अधिकारी को जांच पड़ताल करना जरूरी है। यदि प्रस्तुत आपत्तियों को सही पाया गया, तो विवाह सम्पन्न नहीं होगा।
स्वीकार की गयी आपत्तियों पर क्या उपाय है?
स्वीकार की गयी आपत्तियों पर कोई भी पक्ष अपील दर्ज कर सकता है।
अपील किसके पास दर्ज की जा सकती है?
अपील आपके स्थानीय जिला न्यायलय में विवाह अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में दर्ज की जा सकती है|
अपील कब दर्ज की जा सकती है?
आपात्ति स्वीकार होने के 30 दिन के भीतर अपील दर्ज की जा सकती है।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: स्टेप 4
घोषणा पर हस्ताक्षर
घोषणा पर कौन हस्ताक्षर करता है?
दोनों पक्ष और तीन गवाह (विवाह अधिकारी की उपस्थिति में) घोषणा पर हस्ताक्षर करते है। विवाह अधिकारी भी घोषणा को प्रतिहस्ताक्षरित करता है।
घोषणा का लेख और प्रारूप क्या है?
घोषणा का प्रारूप अधिनियम की अनुसूची III में प्रदान किया गया है। प्रारूप नीचे पढ़े या डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: स्टेप 5
विवाह का स्थान
विवाह का स्थान: विवाह अधिकारी का कार्यालय या उचित दूरी के भीतर किसी जगह पर विवाह का स्थान हो सकता है।
विवाह का फार्म: विवाह पक्ष का चुना कोई भी फॉर्म स्वीकार किया जा सकता है लेकिन विवाह अधिकारी की उपस्थिति में वर और वधु को ये शब्द कहना जरूरी है।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया: स्टेप 6
सर्टिफिकेट ऑफ़ मैरिज
विवाह का प्रमाण पत्र इस बीच, विवाह अधिकारी विवाह प्रमाणपत्र पुस्तिका में अधिनियम की अनुसूची IV में निर्दिष्ट रूप में एक प्रमाण पत्र दर्ज करता है। यदि दोनों पक्षों और तीन गवाहों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं, तो ऐसा प्रमाण पत्र अदालत के विवाह का निर्णायक प्रमाण है।
इसलिए, शादी का प्रमाण पत्र इस प्रकार है: शादी का प्रमाण पत्र मैं, विवाह अधिकारी, इसके द्वारा प्रमाणित करता हूं कि ____ 2022 के ___ दिन, दूल्हा और दुल्हन मेरे सामने उपस्थित हुए और उनमें से प्रत्येक ने, मेरी उपस्थिति में और तीन गवाहों की उपस्थिति में, जिन्होंने यहां हस्ताक्षर किए हैं, ने धारा 11 के लिए आवश्यक घोषणाएं कीं और इस अधिनियम के तहत मेरी उपस्थिति में उनके बीच एक विवाह की घोषणा की गई थी। (हस्ताक्षर)
कोर्ट मैरिज के लिए क्या आवश्यक दस्तावेज हैं?
- कम्पलीट आवेदन पत्र और अनिवार्य शुल्क
- दूल्हा-दुल्हन के पासपोर्ट साइज के 4 फोटोग्राफ्स
- पहचान प्रमाण पत्र
- जन्म प्रमाण पत्र या मार्कशीट दसवीं कि
- शपथपत्र जिससे ये सबूत हो कि दूल्हा दुल्हन में कोई भी किसी अवैध रिश्ते में नहीं है
- गवाहों की फोटो व पैन कार्ड
- पहचान के लिए आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसा दस्तावेज
कोर्ट मैरिज में वकील का काम: विवाह की सूचना दाखिल करने के लिए पक्षकार पहले अपने अधिवक्ता से परामर्श करते हैं। कोर्ट मैरिज प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक मैट्रिमोनी वकील आपका सबसे अच्छा दांव होगा। एक वकील विवाह के पक्षकारों को लागू कानून के अनुसार, पंजीकरण का स्थान, जहां विवाह पंजीकृत किया जा सकता है, सलाह देगा। एक वकील यह सुनिश्चित करेगा कि विवाह के पक्षकार विवाह की आयु पुरी की हैं। एक वकील दोनों पक्षों की स्वतंत्र सहमति सुनिश्चित करेगा। एक वकील पंजीकरण प्रक्रिया के लिए आवश्यक सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार करेगा। यह शादी के लिए पार्टियों के बोझ और समय को कम करने में मदद करता है। एक वकील आपके, आपके साथी और तीन गवाहों के लिए विवाह रजिस्ट्रार के कार्यालय में मिलने के लिए एक पारस्परिक रूप से सुविधाजनक समय निर्धारित करेगा ताकि दस्तावेज़ीकरण की अंतिम जांच की जा सके। आगे के दावों और विचार-विमर्श के मामले में, एक वकील पक्षों की ओर से अपील दायर करेगा और तर्क देगा।